भोपाल06/अगस्त/2019
(rubarudesk) @www.rubarunews.com>> प्रदेश के नगरीय निकायों को 26 क्लस्टर में विभाजित कर
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की क्लस्टर आधारित योजना बनायी गयी है। इसमे से 6 स्थानों पर कचरे से
ऊर्जा (वेस्ट टू एनर्जी) तथा 20 स्थानों पर कम्पोस्ट
प्लांट लगाने की योजना तैयार की गयी है। सागर, जबलपुर और उज्जैन में
प्रोसेसिंग प्लांट शुरू किये गये हैं। भोपाल, कटनी और रीवा में
प्लांट शुरू करने तेजी से काम किया जा रहा है।
प्रदेश में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
नियम 2016 के बेहतर क्रियान्वयन के लिये
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा नगरीय निकायों
को शामिल कर वर्कशॉप और इन्टरेक्शन मीट आयोजित की जा रही है। स्थानीय निकायों से
जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को ठोस अपशिष्ट के बेहतर प्रबंधन के लिये समझाईश
भी दी जा रही है ।
प्रदेश के 383 नगरीय निकाय संस्थान में 7212 मैट्रिक टन ठोस अपशिष्ट प्रतिदिन
उत्पन्न होता है। इसमें से 6537 मैट्रिक टन
अपशिष्ट का संग्रहण हो रहा है। करीब 1271 मैट्रिक टन
अपशिष्ट का उपयोग प्रतिदिन कम्पोस्ट बनाने में, 15 मैट्रिक टन
अपशिष्ट का उपयोग प्रतिदिन बायोगैस उत्पादन में 525 मैट्रिक टन
अपशिष्ट का उपयोग आरडीएफ/एमआरएफ में तथा करीब 462 मैट्रिक टन ठोस
अपशिष्ट का उपयोग कचरे से ऊर्जा उत्पादन में किया जा रहा है।
जबलपुर में 11.5 मेगावाट क्षमता का वेस्ट टू
एनर्जी प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया है। इंदौर में ए टू जेड इन्फ्रास्ट्रक्चर
प्राइवेट लिमिटेड द्वारा देवगुराडिया में संचालित ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधा
केन्द्र से प्रतिदिन 1100
से 1200 मैट्रिक टन अपशिष्ट प्राप्त हो
रहा है। इसमें से 600
मैट्रिक टन कम्पोस्ट बनाने में और
500 मैट्रिक टन मटेरियल रिकवरी के
लिये उपयोग हो रहा है। शेष 100 मैट्रिक टन
अपशिष्ट का उपयोग विकेन्द्रीयकृत सुविधा के माध्यम से कम्पोस्ट एवं बायोगैस बनाने
में उपयोग किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण
बोर्ड द्वारा समय-समय पर नगरीय ठोस अपशिष्ट डम्प साइट्स की जल एवं परिवेशीय वायु
गुणवत्ता की जाँच की जा रही है। पिछले वर्ष डम्प साइट्स के आस-पास के क्षेत्रों की
भूमिगत जल गुणवत्ता माप के लिये 452 और परिवेशीय
वायु गुणवत्ता माप के लिये 219 नमूनों की जॉंच
की गयी।
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