दतिया(Dr.RamjisharahRai) @www.rubarunews.com- विश्व के इकलौते सहस्त्रफणधारी भगवान शेषनाग मंदिर श्रीरामानुज धाम आश्रम दतिया पर गीता जयंती के धार्मिक कार्यक्रम की शुरुआत सोमवार 2 दिसंबर से शुरू हो गया। स्वामी जी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ धार्मिक कार्यक्रम की शुरुआत कराई। 8 दिसंबर से प्रतिदिन हवनदेवी में श्रीमदभगवत गीता के श्लोकों के साथ हवनवेदी में आहुतियां दी जाएगी। इसी दिन भंडारे का भी आयोजन होगा।
श्रीरामानुज धाम आश्रम के अधिष्ठाता 129 वर्षीय संत अनंतश्री विभूषित स्वामी देवनायकाचार्य जी समदर्षी महाराज के सानिध्य में होने वाले धार्मिक आयोजन के यज्ञाचार्य पं. राजेश व्यास पूर्व पुजारी श्रीरामराजा मंदिर ओरछा धाम। वैदिक मंत्रों का सस्वर उच्चारण विद्वान पंडित आत्माराम दुबे, मुरली शर्मा, इलू तिवारी, जयप्रकाश दुबे, ब्रजेन्द्र बाबा एवं प्रदीप पारासर आदि द्वारा कराया गया।
निःशुल्क चिकित्सा शिविर भी लगेगा-
8 दिसंबर को धार्मिक आयोजन के समापन अवसर पर आश्रम पर भक्तों व श्रद्धालुओं को चिकित्सा सुविधा देने के लिए निःशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित किया जाएगा। शिविर में प्रसिद्ध व अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा घुटने का दर्द, जोड़ों का दर्द, कमजोरी, डायविटीज, मोटापा एवं हदयरोग की बीमारी का परीक्षण कर चिकित्सकीय परामर्श दिया जाएगा।
दतिया में है विश्व का एकमात्र सशहस्त्रफनधारी भगवान शेषनाग मन्दिर
दतिया जिला मुख्यालय से महज 7 किमी दूर ग्वालियर झांसी रोड नवीन कलेक्ट्रेट के पास श्रीरामानुज धाम आश्रम पर विश्व का एकमात्र सशहस्त्रफनधारी भगवान शेषनाग जी का मंदिर स्थापित है। सफेद संगमरमर पर एक ही शिलाखण्ड के उपयोग से बनी विशाल प्रतिमा जयपुर के कुशल कारीगरों की उत्कृष्ठ मूर्ति कला का बेजोड़ नमूना है।
श्रीरामानुज धाम आश्रम के अधिष्ठाता अंन्तश्री विभूषित स्वामी देवनायकाचार्य जी के दिव्य स्वप्न में चक्रवर्ती सम्राट भगवान शेषनाग जी द्वारा सहशस्त्र फन के साथ दर्शन दिए जाने के उपरांत उक्त दिव्य स्वरूप को स्मृति में रख स्वामी जी द्वारा सहशस्त्रफनधारी भगवान शेषनाग के विग्रह का निर्माण करवाया है। आश्रम पर इस दिव्य मूर्ति की पूजा अर्चना व दर्शनों के लिए प्रतिदिन श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। दिव्य मूर्ति की स्थापना के लिए विशाल मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है।
मन्दिर निर्माण के लिए अध्यात्म नगरी दतिया को चुना सशहस्त्रफनधारी भगवान शेषनाग जी का मंदिर निर्माण के लिए स्वामी जी ने बुन्देलखण्ड की वीर धरा में से आध्यात्मिक नगरी दतिया को चुना। दतिया आध्यात्मिक गुरुओं सन्तों की पुरातन नगरी है। यहां महाभारत काल से अश्वरथामा का प्रसंग जुड़ता है।
5 साल से चल रहा अखण्ड अनवरत गीता पाठ
श्रीरामानुज धाम आश्रम पर श्रीमद्भागवत गीता का अखण्ड अनवरत पाठ पिछले 5 साल से चल रहा है। प्रतिदिन अलग अलग यजमानों के नाम से गीतापाठ होता है। इसके आजीवन सदस्य स्वामी जी के शिष्य व देश के कोने कोने से जुड़े श्रद्धालु है। गीतापाठ का प्रतिफल व्यक्ति व उसके परिवार के लिए कल्याणकारी है। गीता के 18 अध्यायों के श्लोकों का सस्वर उच्चारण आस पास के वातावरण को शांत व कांतिमय बनाता है।
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