श्योपुर 22/जुलाई/2019 (rubarudesk) @www.rubarunews.com>>खटीक समाज के सामूदायिक भवन पर
सहभागिता से संचालित एमपीपीएससी निःशुल्क कोचिंग पर भूगोल विशेषज्ञ विकास सोनी ने
बताया है कि मानसून पवनो पर भारतीय मानसून आधारित है अर्थात भारत मे पवने वर्ष के
छः माह स्थल से समुद्र की ओर और छः माह समुद्र से स्थल की ओर चलती है। भारतीय
मानसून में अनिश्चितता ,
अनियमितिता , मानसून के समय , मात्रा, वितरण, बिभंगता, मूसलाधार वर्षा, धरातलीय वर्षा आदि
विशेषताओं के साथ मौजूद है। भारत मे अधिकांश वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून द्वारा
होती है देश के कुल वर्षा का 75 प्रतिसत भाग
दक्षिण पश्चिम मानसून से और लौटते मानसून से 2 से 3 प्रतिशत वर्षा
होती है। भारत मे वर्षा का क्षेत्रीय वितरण समान नही है मौसिनराम में 1141 सेंटीमीटर वार्षिक
वर्षा जबकि जैसलमेर में 10 सेंटीमीटर वार्षिक
वर्षा होती है। मानसून वर्षा का अधिकांश भाग जुलाई से सिंतबर के मध्य होती है
परन्तु मानसून वर्षा प्रायः समय पर नही होती , कभी समय से पहले और
कभी समय के बाद वर्षा होती है जिससे कृषि कार्य प्रभावित होता है भारत के वर्षा
अनिश्चित के साथ ही साथ अनियमित भी है यह अपनी नियमित मात्रा से अधिक और कभी कम
होतो है इसका प्रभाव 50 से 100 सेंटीमीटर वार्षिक
वर्षा वाले क्षेत्र वाले में ज्यादा पड़ता है। मानसून की वर्षा निरंतर नही होती
बल्कि कुछ दिनों के अंतरालके रुक रुक कर होती है। देश की कुल वर्षा का 75 प्रतिशत भाग
मानसून पवनों द्वारा वर्ष के केवल 4 महीनों में
प्राप्त होता है इन 4महीनों में भी वास्तविक वर्षा दिन के
केवल 40 से 45 दिन ही होती है।
- Blogger Comment
- Facebook Comment
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments:
Post a Comment